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शुद्धि पत्रक
पंक्ति
शुद्ध बखाण सद्दहे जिनेश्वर पामे
अशुद्ध वरवाण सछहे जिनेश्चर परमे शुदे वीजिन शिल्य लल्लंघवी श्रणे
वीरजिन शिष्य उल्लंघवी
थुणे
१-८-७३
१-८-६३ दयालु
दथालु
३३४
गुरुराज हच्छा अशा अतन्त रामचन्द्र
अहो गुरुराज इच्छा (अधिक है) अनन्त राजचन्द्र
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