________________
भू-जल-पवन-अनल तणुं, कारण ते कारणाणु ;
स्कंध-मुक्त अविभागी ते, कह्यो कार्य परमाणु...५६ एक गुण स्निग्ध के रुक्ष ते, जघन्य बंध-अयोग्य ; ... तूर्य-भेद उत्कृष्ट-अणु, सम विषम बंध योग्य...६० छेद्य स्वतः संधाय ना, घन-वस्तु काष्ठादि ; १ अति-स्थूल-स्थूल भासता, स्कंध-भेद ए आदि...६१ स्थूल-स्कंध जलादि ते, छेद्य स्वतः संधाय ;
स्थूल-सूक्ष्म छायादि ते, छे अछेद्य अग्राह्य.. ६२ सूक्ष्म-स्थूल-स्कंधो कह्या, शब्द-स्पर्श-रस-गंध ;
- सूक्ष्म कर्म-वर्गण इतर, सूक्ष्म-सूक्ष्म ते स्कंध...६३ अवगाहन कद-सूक्ष्मता, जे आयंत ते मध्य ; - तेथी इन्द्रिय-गाह्यना, अविभागी 'अण' लभ्य...६४ वर्ण-गंध-रस एकेका, स्पर्श अविरुद्ध बे ज;
अणु-स्वभाव-गुण इतर-गुण, गाह्य इन्द्रि-पांचे ज...६५ पर-निरपेक्षक-परिणति ज, अणु-स्वभाव-पर्याय ;
स्वजातीय स्कंध बंधने, अण-विभाध-पर्याय...६६ परमार्थे परमाणु ने, पुद्गल-द्रव्य वदाय ;
स्कंधो ने उपचार थी, पुद्गल रहस्य सदाय ६७ गति-स्थिति-कलो मार्ग ज्यम, एंजिन ने सापेक्ष ;
धर्म अधर्म नभ द्रव्य त्यम, जीव-पुद्गल सापेक्ष...६८ स्वभाव-गति-स्थिति-स्थान-हेतु, अयोगी सिद्ध अणुने ज;
विभाघ-गति-स्थिति-स्थान-हेतु, शेष जीव स्कंधने ज...६६
२२८
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org