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सहजज्ञान सहजे ठरयु, सहजानन्द स्वतन्त्र ;
- दर्शन ज्ञाने रमण ए, सहज समाधि-तन्त्र...१०७ परम कृपालु देव श्री, पूज्यपाद गुरुराज; . .
. ज्ञायक भावे सेवतां, सहजानंद जहाज...१०८ पूज्यपाद अर्चन करू, अष्टोत्तर शत फूल ; :
यथा जात मुद्रा नमू, सहजानन्द प्रफुल्ल...१०६
(१९७) नियमसार-रहस्य (पद्य)
प्रारंभ ११-६-५५ .
दोहा मंगल :ॐ सहजात्म-स्वरूप प्रभु, नमुपरम-गुरुराज ;
शुद्ध चैतन्य स्वामिने, सहजानन्द जहाज...१ पीठिका:सहज-समाधि सजाववा, हणवा भव-दुःख द्वंद
... नियमसार रहस्ये रमु, कथित प्रभु कुंदकुंद...२ नियमसार संसार मा, नियम छ वस्तु स्वभाव ;
. चेतनसे चैतन्यमय, जड़ने 'जड़ता भाव...३ पुद्गल धर्म अधर्म नभ, काल द्रव्य जड़-पंच , -
नियम-मर्यादा ना तजे, नियमित विश्व-प्रपंच...४
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