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व्हारे सुख दुख अन्तरे, अकड़ियो विललाय ।
व्हारे सुख दुख अन्तरे, अभ्यासी नर पाय...५२ कहो सुणो इच्छो रमो, तन्मय आतमज्ञान;
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बीजुं सौ भूल्ये मल्ये, सहजानन्द निशान ५३ तन-मन-वच - गूहचूड थी, उजवे धर्म धतींग ;
लड़े युद्ध आत्मा हणे, जीत्ये तागड़ धींग ...५४ विष + यः पी जीववा मथे, अज्ञ चक्रधर मुंड ;
शात चाट वाधित मरे, भरी बीठ थी तुंड...५५ कुगति-रात भावे सुइ, जाग्ये मदिरा पान ;
हुँ मारु बकतो फरे, जड़ ने आत्म अजाण• • ५६ निज-पर-तन- जड़ हुं अजड़, एज निरन्तर लक्ष ;
अबाध्य अनुभव रूप छु, ठरे स्वात्म माँ दक्ष • ५७ अनुभव पथ उपदेशतां, प्रहे न जड़ मत धार ;
मन मौने जड़-भरत थॐ, ट्यूशन वृत्ति विडार...५८ जे इच्छू प्रतिबोधवा, ते वेतन्य अकथ्य ;
ग्राह्य न वचन विलास थी, माटे मौन ज पथ्य ५६ हृदय नयण भींची बहिर, राचे चर्म चमार ;
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अन्तर हग प्रभु मां ठरे, जड़ कौतुकता मार ... ६० शोषण पोषण देह नु, जाणे धर्म-अधर्म ;
सुख दुख बोधन देह ने, मूढ लहे न मर्म ६१ मन-वच-तन तन्मय दशा, आश्रव बन्ध संसार ;
रत्नत्रयी तन्मय दशा, संवर मोक्ष प्रकार ••• ६२
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