SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 245
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आत्म भांतिए जनित दुख, आत्मज्ञान थी नाश; '. .. दान शील तप ज्ञान वण, नहिं दे मोक्ष निवास...४१ देहाध्यासी इच्छता, दिव्य देह सुख भोग ; .... सहजानंदी सन्त जन, इच्छे भोग वियोग... ४२ जड़ गुण द्रव्य पर्याय मां, मोही जन बन्धाय ; ....... आत्म द्रव्य गुण पर्यये, ठरतां बन्धन जाय...४३ नात-जात-लिंग-वेद-तन, माने मूढ हुँ एज ; . .. अनादि सिद्ध अवाच्य , आत्मा बुध मानेज...४४ सम्यग् दृग पाम्ये छते, वमन करे को भांन्त ; .. पूर्व भांन्ति संस्कार थी, साक्षरा-राक्षस वांत...४५ जड़ज अचेतन दृश्य आ, अदृश्य चेतन आप ; .. शेष तोष को पर करूं, रहूँ साक्षीए व्याप...४६ ग्रहण-त्याग जड़ नो करे, व्हार रमे मति अन्ध ; . न ग्रहे त्यागे भोगवे, जड़ ने संत अबन्ध...४७ तन वच थी मन छोड़वी, जोड़ो ज्ञायक भाव ; ... जड़ पेठं मन जड़ बने, चेतन-चेतन भाव...४८ जग विश्वास्य सुरम्य आ, ज्ञय-निष्ठ आभास; भवे रति-विश्वास क्या ?, ज्ञान-निष्ठता जास...४६ आत्मज्ञान वण कार्य को, मन मां अधिक म धार; आत्मार्थे वच-काय थी, वत्तों उदयाधार...५० इन्द्रिय द्वारे देखतां, देखनार खोवाय ; ...स्वयं ज्योति आनन्दघन, अन्तर मांज जणाय...५१ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003818
Book TitleSahajanand Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandana Karani, Bhanvarlal Nahta
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy