________________
राग द्वेष मोहादि ने, चेतनमां देखाय ; .
जड निमित्त ज सौ जडज ते, चेतननां केम थाय...२२ चेतनने मोहादिनो, छे संयोग सम्बन्ध ; .
__ मोह युक्त जाणण क्रिया, मोह-क्रिया ज स-बन्ध...२३ अज्ञाने मोहादि नी, कर्ता-कर्म प्रवृत्ति ;
तास निमित्त जड एकटु, थाय सहज निज वृत्ति २४ जड-चेतन निज निज पणे, मली रहे एक थान ;
कहेवाय ते बन्ध जे, थाय निमित्त अज्ञान...२५ मोहादि कर्तृत्वथी, बंध अनादि प्रवाह ;
इतरेतराश्रय दोष विण, भूलवे चेतन राहः ..२६ चेतनने निज ज्ञाननो, छे तादात्म्य सम्बन्ध
सहज थाय जाणण क्रिया, पान-क्रिया ज अबंध...२७ ज्ञान-मोहादिक भिन्नता, ज्यां लगी य न जणाय ;
टले न बंध अज्ञानता, आत्म समाधि न थाय...२८ ज्ञाने मल मोहादि ए, जेम जल मल सेवाल;
ज्ञान ढांकी व्याकुल करे, उपजे आत्म जंजाल...२६ जल-सेवाल एक ज नहीं, तेम मोहादि ज्ञान,
. ज्ञान-ज्ञान मोह-मोह छे, उभय मिलन अज्ञान...३० जाणे नहीं निजने कदा, ए मोहादि विकार;
कर्या बिना ते थाय ना, जड निमित्त ज निर्धार...३१ अछती वस्तु छतां टकी, चिद् सत्तानी सहाय ;
. रहायक ने कनडे ह हा ! ए अचरज मुज थाय...३२
१६४
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org