SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 212
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ परमारथ उपदेशवा, साधन छे व्यवहार; समज इशारा थी लहे, मुंगा बाल गमार...२६ पंक मिश्र जल जोइने, तरस्यो रहे अजाण; कतक चूर्ण प्रयोगथी, पीए शुद्ध जल जाण. . २७ कतक चूर्ण प्रयोग सम, निश्चयनय विज्ञान; जड-चेतन भिन्नता करी, प्रगटावे निज ज्ञान....८ श्रु तज्ञाने अनुभव करे, ज्ञायक शुद्ध स्वरूप, । श्रुतधारी श्रुत-केवली, भाखे त्रिभुवन भूप...२६ निश्चय ज्ञान ते आतमा, गुण गुणी एक अभिन्न; अक्षत कण एक ज थकी, पाक ज्ञानता पीन...३० निश्चय विण व्यवहारनो, नियमा फल संसार; निश्चयने अवलंबीने, चिदानन्दघन सार...३१ शुद्धात्मा शुद्ध नय बले, जाण्यो जाय त्रिकाल; तदनुकूल व्यवहार विण, कदी न लागे भाल...३२ जड-चेतन नवतत्त्वनी, शुद्ध नय बले प्रतीत; हेयोपादेय ज्ञेयथी, सम्यग्दर्शन रीत...३३ बंध पर्याय समीपमा, नव तस्यो छे सत्य; मुक्त स्वभाव समीपमा, जाणो तेज असत्य...३४ नय निक्षेप प्रमाण पण, तेमज सत्यासत्य; . शुद्ध स्वरूपनी प्राप्तिमां, निज निज स्थाने पथ्य....३५ जल निमग्न जल कमल, स्पर्श परस्पर सत्य; कमल स्वभाव समीपमा, पण ते स्पर्श असत्य...३६ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003818
Book TitleSahajanand Sudha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandana Karani, Bhanvarlal Nahta
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year
Total Pages276
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy