________________
बम्बई चिन्तामणि-फाग
८१ )
चिन्तामणि-पाच-फाग
राग-वसन्त जिनजी के गुण गावोहारेलाला जिन०,
मिंदर मिल आवो । जिन० मि०॥१॥ "चिंतामणि" जी कै चरण कमल सें,
नित चित हित सैं लावो रे । मि० जिन॥२॥ सुंदर सूरत मूरत निरखी,
परमानन्द सुख पावो रे। मि० जिन०३। तारक है त्रिभुवन पति जिनजी,
फाग राग गुण गावो रे । मि० जिन०१४॥ केसर कुकम कुँ छिडकावो,
लाल गुलाल उडावो रे । मिं० जिन।। चंग मृदंग ने ताल बजावो,
लहिरी पाणंद लावोरे । मि० जिन०।६। भगत जुगत में भावन भावो,
पुन्य भंडार भरावो रे। मि० जिन०१७ इण विध होरी ख्याल बनावो,
'अमर' सदा सुख पावो रे। मि० जिन०८
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org