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( ६४ ) वम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन- संग्रह
चिन्तामरिण पार्श्वनाथ - स्तवन
राग - ख्याल को
श्री चिन्तामणि साम है साचौ, सुख संपति कौ मैं वारी जाउँ सुख संपत को दाता,
चिंतामणि साहिब है साचौ । सुख० |१| प्र० । सांचे मन जे सेव करत नित,
सोई लहत है साता | मैं वा० | सो० |२| श्रीचिं.। अपणायत जां अलवेसर,
पालै जिम सुत माता। मैं वा०| पा० | ३| श्रीचि । या प्रभु की सुनिजर सुपायै,
दोहग दूर पुलाता। मैं वा ० | दो ० |४ | श्री चिं । रात दीह प्रभु रंगे राचौ,
दायिक व छत दाता । मैं वा० | दा० | ५| श्रीचिं. | त्रिभुवन तारक भव भय वारक,
गुणियण मिल गुण गाता । मैं वा०| गु० | ६ | श्रीचिं.। भविजन भल प्रभु भावन भावो,
'अमर' सुजसखियाता। मैं वा०|०१७। श्रीचिं ।
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दाता |
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