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(६०. ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-सग्रह
तेवीसम जिनवर त्रिभुवन पति,
प्रह सम पूज रचावो । भविजन मिल भावन भल भावो,
गुण जणि गुण मणि गावो । सुगुणराया शिव सुख दायिक नायक लायक,
दिन दिन चढतो दायो। साचै दिल साहिब सेवंता,
"अमर" आणंद बधावो । सुगुण०३।१०।
चिन्तामणि-पार्श्वनाथ-स्तवन
राग-अडाणो मल्हार लटकालै जिनजी से लय लागी। "श्री चिंतामणि" है सोभागी,
__लायक जिनजी से० । श्रीचिं० लट०१। भावठ भय तब सब ही भागो,
राजंद चरण को मैं भयो रागी। लायक०।। पथ शिवपुर को है प्रभु पागी,
नीच निठुर गत नाठी नागी । लटका०३। जालम सुमत त्रिया जब जागी,
कुमतः कुनार गई तब आगी। लायक०।४।
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