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________________ ( ३८ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन- संग्रह मेरो सुकयथ साहिबो रे, निरख्यां नयणाणंद सहियाँ | द. | ३ | चिंतामणि मुझ चित वसै रे, जेम चकोरा चंद सहियां । द. | ४ | दास खास जाणी करी रे, विबुध दिये सुख वृन्द सहियां । द. | ५| सुनिजर जोवौ साहिबा रे, जगनायक जिणचंद सहियां । ६. ६ | महिर लहिर लटकै करी रे, 'अमर' लहै श्राणंद सहियां । द. | ७ | चिन्तामणि पार्श्व - स्तवन राग-- अलहीयो वेलावल मैं चरणन को चेरो, प्रभु चरण० । चरण कमल को चेरो, प्रभु तेरो चोगत चौरासी मैं भटकत, फिरो अनंतो फेरो । प्रभु० | १ | गति चौरिंदी चौवट मैं, घन करमै मो घेरचो । संचित प्रेरयो । प्रभु ० | २ | Jain Educationa International तेरो । दुरगत केरे बहु दुख देखे, पूर मैं हुँ पतित श्रनाथ प्रभूजी, तारक विरुद है तेरो । “चिंतामणि” हिव चित हित धरीयो, चरण शरण ग्रह्मो तेरी | ३ | समरथ साहिब शिव सुख दीजै, क्या कहीयै अधिकेरो। 'अमरसिंधुर' नी आशा पूरो, दास खास हुँ तेरो । प्रभु ० | ४ | -:०: For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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