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बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह ( २५ )
भामण वरणां, जोग न धरणा,
जोवन वय सखि सफला करणां । हो.।। जोग के तजणा, भोग कुं भजणा,
नीत रीत भल चित हित धरणा । हो.।४। नेह जो करणा तो प्रीत न तजणा,
ए उत्तम कुल की है आचरणा । हो.।। वयातीत संयम त्रिय वरणा,
पीछे भव सायर कं तरणां । हो ।६। राजुल नेम वियोग है हरणां,
'अमर' प्रीत भई शिव सुख वरणां । हो ।
गौडी-पार्श्वनाथ-होरी
राग-फाग गवड़ी प्रभु जिनवर गुण गावो । गौड़ी। अंगी चंगी पहुप बनावो, टोडर कंठ बले ठावौ । गौ.११॥ मणि माणिक मोतीयड़े वधावो, तन मन इक ताने लावो । गौ.।२। क्रोध मान दोय ताल वजावो, सुमता केसर छिड़कावो ।गौ.।३। शान गुलाल अबीर उडावो, सुच संतोष भल जल ल्यावो।गौ.।४। दरस सरस करकै सुख पावो, ल्यो नर भवनो इम लाहो। गौ.।। "अमरसिंधुर' भवि मिल गुणगावो,परम संपदाजिम पावो।गौ.६।
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