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________________ बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह ( ) नेमि राजिमती स्तवन [ दुनवा कर कर सांवरै मेरो मन हर लीनो जाय सहियां । मेरे आंगण बोरड़ी बे मेरा पियाविण बोर कुण खाय सहियां ए चाल में वसन्त छै] जदवा कर कर सांवरै रे, मेरो मन हर लीनों जाय, सहीयों जदवा० मेरै जोवन मिल रह्यो रे, मेरे पिया विन किम रहवाय सहीयाँ।ज.११ जान करी में जुगत हुँ रे, अंग घरी उच्छाह सहीयां । ज. २॥ गोखे ऊभी मैं गोरड़ी रे, निरखं नवलो नाह सहीयां । ज. ३॥ अण परण्यां पाछा वल्या रे, दिलड़े क्या बाई दाय सहीयां । न.४॥ पशुध पुकार को मिस करी रे, जादव पालो जाय सहीयां । ज. ५॥ पाछो रथडो फेरतां रे, कांड मुखड़ी नहीं लजाय सहीयां । ज. ६। मैं तो माहरैशील छुरे,नहीं तो अवर लगन ले जाय सहीयां । ज.) लोक कहा सो सहु को करै, काइ मुखड़ो किम देखाय सहीयां। ज. तरणी परणी जे तजै रे, कल औखाणो थाय सहीयां। ज. हा मैं इक तारी मन धरी रे, इण भव ए वर थाय सहीयाँ । ज.१०॥ पहिली प्रीत दिखाय कैरे, छटिक दई छिटकाय सहीयां । ज. ११॥ विन अवगुण वनितातजी रे, निस वासर किम जाय सहीयां ज.१२॥ कालो नर कपटी हुवै रे, सगुण वयण कहिवाय सहीयाँ । ज. १३॥ ए ओखाणे ओलख्यो रे, जादव गिरवर जाय सहीयां । ज. १४॥ पिउ पासे संयम लीयो रे, केवल पद दरसाय सहीयां । ज. १५॥ नेम राजुल मुगते गया रे, 'अमर आणंद पधाय सहीयाँ ।ज. ९६ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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