SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 20
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बम्बई चिन्तामणि पार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह ( ५ I सास | कैसे ० ५ । रात । 1 वालमीयै विन सेजडी, रंग विरंगी जोय | वहिली जाय ने बहिनडी, कंत मनावो कोय । कैसे ० ४ । भुरभुर पिंजर मैं भई, राजिंद विन दिनरात | जमवारो किम जावसी, समरूँ सासो एक अंधारी औरडी, बीजी वैरण काम कटक केडै लग्यौ, सबल लग्यो संताप | कैसे ० ६ । इम किम रहीयै एकला, मैं जाऊँ नवलो नेह लगायके, वसियै एक राजुल इम आलोच ने, गढ पहुंती गिरनार । सहिसा वन संयम लीयो, लहि केवल सुखकार । कैसे ० ८ । सिव मंदर सुख सेजडी, रमै सदा मन रंग । 'अमर' वसे आणंद सुं, अवचल प्रीति अभंग | कैसे ० ६ | वास | कैसे ० ७ । 1 | पिउ पास । Jain Educationa International नेमि - राजुल - स्तवन ( राग - अडाणौ चाल कैरवैरी ) जादव वस करली तावे मेरी ज्यॉन । जादव ० सदरंग रसिया मनडै बसीया, जुगत भुगत के जाए | जा० १ | तोरण आय के पीछे सिधाए, हेतकी करकै हांन । जा०२ | जाय गिरनार भये हैं जोगी, मेरो न रह्यौ मांन । जा०३ | मैं भी पिया संग संयम ल्युंगी, शील धरम सुप्रमांण । जा०४ | नेम राजुल नवलौ नेह बाधौ, बसियै 'अमर' विमान । जा०५ | For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy