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________________ ( ४ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह नेमि-राजुल-स्तवन ( राग-जंगलै मैं ठुमरी) (मन मैं पड्या अव प्रेम फंदा, छुड़दा नाहीं मेरे राम । ए चाल मैं ) विण अवगुण मोहि नाह विसारी,गयो गिरंद मेरो आतम रांम । वि. मैं याको कछु गुनह न कीनौ, सांवरो भज गयो मेरो साम । वि.१॥ पहिली प्रीतरीत दरसाई, कैसो अब नीपायो काम । वि.२॥ द्रोही नर इण सम नव दीठो, धीठो नर नहीं एहो गाम । वि.३। बहियां देकै वैर विसायो, सासूत्रै स्यं जायो जाम । वि.४। नव भव संगी ओतम रंगी, नेम को रहिज्यो जुगजुग नाम । वि.। राजुल नवली प्रीत रची है, 'अमर' तणौ ए साचौ सांम । वि.६। नेमि-राजुल-स्तवन (राग-जंगलो) कैसे समझाउँ सहीयां जदुपति मान नहीं रे । कैसे. पहिली प्रीत बनाय कै, झटक दिखायो छेह । राख्योही पिण नां रह्यो, निगुण तजी गयो नेह । कैसे० १ । सणौ सही प्राणेस विन, जमवारो किम जाय । विरहानल तन पीडियो, किसकुं कहीयै जाय । कैसे० २। निरधारी तज नाहलो, चढियो गढ गिरनार । प्रोतरीत तज बावरे, विरवो कीध विचार । कैसे०३। Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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