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________________ ( १५२ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह द्रव्यत मावत पूज करी मिल विविध प्रकार । सुश्रावक मिल सफल करै अपणो अवतार ॥१५॥ छप्पन कोड सोनईया छलबल करि में जेण । भल प्रासाद करायो तीरथ भाव्यो तेण ॥ 'वर्द्धमान' गुरुराज तणो लहि वर उपदेस । मांखण जिम दल कोराव्यो सोभा वधीय विशेष ॥१६॥ घोडे चढीयो विमल मंत्री प्रभु सनमुख जोय । निरखीह रख्या सिंघ लोक मन अचरिज होइ । .................. . . . . . . . . ........."आगल सनमुख कीध प्रमाण । दिन २ हरख सवायो सुरगिरि निकटता जाण ॥ सिंघ पागम सुणि 'पालीतांणा' नो चउविह संघ । सिंघ वधावै अधिक आणंदै धर उछरंग ॥२॥ तलहटीयै डेरा कीया तंबू ऊँचा (कीधा) ताण । सोहामण संदर गुण गावै चतुर सजाण ॥ 'पालतणी' जात्र करी पहिली तेह प्रमाण । ऊँच मनै ऊँचा चढ बीजी जात्रा जाण ॥२६॥ मूल नायक मन रंगे भेट्या भाद जिणंद । चौमुख पंग गुहार्या फेल्या दुरगत फंद ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003817
Book TitleBambai Chintamani Parshwanathadi Stavan Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherChintamani Parshwanath Mandir
Publication Year1958
Total Pages178
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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