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भैरव-गीतानि ( १०६) मस्तक वाकै मुगट विराजै,
कांनै कुंडल की जोरी । भैरव०।२। पग पायजेभ घूघर कडि घमकै,
फिरती देत भमर फेरी । भैरव०।३। वीर मिले वाजिन वजावै,
जोगणि फाग गावत गौरी । भैरव०१४। वीण वजावे नृत्य नचावै,
हस हसकै गाढत होरी । भैरव०। ५ । लाल गुलाल अबीर उडावत,
केसर कुंकम मझ घोरी । भैरव०।६। चौमुज धारी है अवतारी,
चितरो लेत सबन चोरी । भैरव०।७। बघरयालो मदमत वालो,
कापत संकट की कोरी । भैरव०।८। स्यांम भैरव है सुख को दायक,
सुप्रसन हुय दै सुत जोरी । भैरव०।।। आराध्यां ए ततखिण आवै,
धणी हमारो ध्रम धोरी। भैरव०॥१०॥ "चिंतामणिजी" की चरण की सेवा,
रात दिवस करै कर जोरी । भैरव०११॥ सेवक कुँ सुख संपत दायिक,
"अमर" पाणंद दीयै सुख जोरी। भैरव०।१२।
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