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( ६४ ) बम्बई चिन्तामणिपार्श्वनाथादि स्तवन-संग्रह
टालै वध बंधन कष्ट करूर, निरमल तास वधै मुख नूर । साचोगुरु धींगड मल्ल सधीर, चोखो जस वास वधारै चीर।१२। गमाडै रोग महागुरु राय, पूजे जे पनिम पूनिम पाय । करि अरि केहर दुठ कुद्धाल, महाभय दूर हरै अोल माल ।१३। खलां दल हुंत उधारयो आय, राठोड सुजाण बीकाण' नाराय। 'सांगा' में पुत्र दीयो श्रीकार, कथं 'क्रमचंद' कुलै आधार ।१४। मलेच्छे द्वेषकीयो 'मुलताण', मोटौ 'जिनचंद' नोराख्योमांन । 'मोदी ने पूत दीयो मन रंग,चोखी चित चाह पूरै गुरु चंग।१। अनम्मी माने आण अखंड, पुलायी जायै पाप प्रचंड । महारीमवार दातार मुणिंद, चावो चिहुँ खंड पटोधर चंद।१६। कहुँ इक जीह कितो अवदात, इला मझ तुम्ह तणी अखीयात । साचो गुरु राय सादुलोसींह,अहो अतुलीबल राज अबीह ।१७। छोरू निज जाणी ने छत्राल, तुम्हें महाराज करो प्रतपाल । अम्हीणें तुझ तणों ओधार, जपंता जाप करो जै कार ।१८। अम्हीणां कोड सुधारो काज, नेहे धर नेह गरीब निवाज । साची इक तार तुम्हारो सांम, अम्हीणों त हिज प्रातम राम ।१६। साचो हुँ दास तुम्हारो खास, सदा सुख संपद दीजै रोस । करूँ अरदास कहुँ कर जोडि, कृपानिध परो वंछित कोडि।२०।
॥ कलश ॥ परो वंछित कोड सुगुरु श्री "कुशलसुरिंदा"। महिर करो महाराज अधिक मुज देह आणंदा ॥
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