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प्रामुख
श्री नेमीचन्द जी पुगलिया बीकानेर निवासी द्वारा सरल सुबोधगम्य पद्यों में रचित "आयुर्वेद महावीर" पुस्तक को देखने का अवसर मिला। पद्य की प्रथम पंक्ति में सरल हिन्दी में औषध का गुणधर्म वर्णन है तथा दूसरी पक्ति में श्री महावीर भगवान को स्मरण रखने का वर्णन है। लेखक का मुख्य उद्देश्य सरल चिकित्सा ज्ञान व श्री महावीर भगवान का स्मरण रखना है।
___ श्री पुगलिया जी ने इसके अतिरिक्त अनेक पुस्तकें और भी लिखी हैं । ये जिस लगन व निष्ठा से समाज सेवा करते आ रहे हैं उसे भुलाया नहीं जा सकता । समाज से सम्बन्धित सभी व्यक्तियों के बीच श्रो पुगलिया जी विशेष लोकप्रिय हैं और सभी से आपका मधुर सम्पर्क है ।
आपका परिश्रम व प्रयास सराहनीय है।
दिनांक २४-७-७४
-सोहनलाल शर्मा वैद्य जिला आयुर्वेद अधिकारी
बीकानेर
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