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गौतम रास : परिशीलन
इन तपों की आराधना कर भक्त जन गौतम के नाम का स्मरण-जप करते हुए साधना करते हैं।
ऐसे महिमा मण्डित महामानव ज्योतिपुंज क्षमाश्रमण गणधर गौतम स्वामी को कोटिशः नमन ।
गौतम स्वामी की मूर्तियां
___ अतिशय लब्धिधारक गौतम स्वामी की पादुकाओं और मूर्तियों का निर्माण भी कई शताब्दियों पूर्व प्रारम्भ हो गया था । जैन मन्दिरों में कई प्राचीन तीर्थस्थलों पर इनकी मूर्तियाँ व पादुकायें विद्यमान हैं । वर्तमान समय में तो इनकी मूर्तियों का निर्माण प्रचुर परिमाण में हो रहा है और सैंकड़ों मन्दिरों में इनकी मूर्तियाँ प्रतिष्ठित, स्थापित एवं पूजित हो रही हैं। इनकी प्राचीनतम प्रतिमा श्री भीलडियाजी तीर्थ (प्राचीन नाम भीमपल्ली) के पार्श्वनाथ मन्दिर में विद्यमान है, जो कि सं. १३३४ में सा. बोहित्थ पुत्र सा० बैजल ने अपने भाई मूलदेवादि के साथ स्वकल्याण और स्वयं के कुटुम्ब के कल्याण हेतु निर्माण करवाई थी और इसकी प्रतिष्ठा (खरतरगच्छालंकार) श्री जिनेश्वरसूरि के शिष्य श्री जिनप्रबोधसूरि जी ने की थी (जो कि प्रकटप्रभावी दादा जिनकुशलसूरिजी के दादागुरु थे)। प्रतिमा पर उत्कीर्ण मूल लेख इस प्रकार है
(१) सं० १३३४ (२४ ?) वैशाख वदि ५ बुधे गौत(२) मस्वामिमूर्तिः श्रीजिनेश्वरसूरि-शिष्य-श्रीजि(३) नप्रबोधसूरिभिः प्रतिष्ठिता कारिता च सा०
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