SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 2
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जैन वाङ्मय में, तीर्थंकर महावीर के बाद, सर्वोच्च स्थान उनके गणधर इन्द्रभूति गौतम को प्राप्त है। जैन-परम्परा ने गौतमस्वामी को समस्त लब्धियों, सिद्धियों, विधियों के धारक, द्वादशांगी के निर्माता, अनिष्ट एवं विघ्नों के नाशक, अभीष्ट फलदायक तथा प्रात: स्मरणीय माना है। गौतम गणधर के माहात्म्य को उजागर करने वाली 'मरु-गुर्जर भाषा में गुफित महोपाध्याय विनयप्रभ रचित प्राचीनतम कृति गौतम-रास को जैन समाज में यथेष्ट लोकप्रियता प्राप्त है, किन्तु इस रचना का सरल व सुरुचिपूर्ण हिन्दी अनुवाद उपलब्ध नहीं है। म० विनयसागर द्वारा अनुदित यह पुस्तक उस अभाव की पूर्ति करती है, साथ ही गौतम स्वामी का प्रामाणिक जीवन चरित्र भी प्रस्तुत करती है । अनेक जैन पाठक जो दिनचर्या का आरम्भ गौतमरास के पाठ से करते हैं अब उसके सम्पूर्ण अर्थ से भी परिचित हो सकेंगे। www.jainelibrary.org
SR No.003811
Book TitleGautam Ras Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy