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________________ मेरे सन्मित्र डॉ० हरिराम प्राचार्य, रीडर, संस्कृत विभाग, राजस्थान विश्व विद्यालय, जयपुर ने मेरे अनुरोध पर "गौयम गुरु रासउ : एक साहित्यिक पर्यालोचन' लिखकर मुझे अनुगृहीत किया है। प्राकृत भारती अकादमी की प्रबन्ध समिति ने, विशेषतः अकादमी के सचिव, श्री देवेन्द्रराजजी मेहता ने श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ, मेवानगर के संयुक्त प्रकाशन में इसको स्वीकार कर एवं प्रकाशित कर मुझे उपकृत किया है। मेरे सुस्नेही मित्र श्री सुरेश कुमार जी बैद एवं उनकी धर्मपत्नी बहिन शकुन्तला देवी जमशेदपुर वालों ने १००० प्रति के अग्रिम ग्राहक बनकर इसके प्रकाशन में स्फूर्ति प्रदान की है। आवरण सज्जा में श्री पारस भणसाली, श्री गणेश ललवानी कलकत्ता, मुद्रण कार्य में श्री जितेन्द्र संघी और प्रूफ संशोधन में श्री सुरेन्द्र बोथरा ने सहयोग प्रदान किया है। मेरी धर्मपत्नी संतोष जैन, पुत्री गायत्री जैन, आयुष्मान मंजुल एवं विशाल जैन, बहिन इन्द्रबाई जैन भो इसके लेखन में प्ररक रहे हैं । अतः उक्त सभी के प्रति मैं हार्दिक आभार प्रकट करता हूँ। ____ अन्त में, मैं अपने परम पूज्य गुरुदेव सुविहिताचार के पालक प्राचार्य श्री जिनमणिसागरसूरि जी म० का चिरऋणी एवं चिरकृतज्ञ हूँ कि जिनको प्रसोम कृपा एवं शुभाशोष से हो मैं कुछ लिखने योग्य बन सका है, अतः सविनय नमन करता हूँ। कार्तिक शुक्ला १, सं० २०४४. म. विनयसागर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003811
Book TitleGautam Ras Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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