SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 123
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ खरतरगच्छनभोमणि युगप्रधान दादा श्री जिनकुशलसूरिजी के शिष्य रत्न श्री विनयप्रभोपाध्याय विरचित गौतम रास वीर जिणेसर चरण-कमल कमलाकय-वासउ, पणमवि भणिसुं सामि साल गोयम गुरु रासउ । मण तण वयण एकंत करिवि निसुणह भो भविया, जिम निवसइ तुमि देह-गेह गुण-गुण गहगहिया ॥१॥ जिनके चरण कमलों में कमला/लक्ष्मी ने निवास कर रखा है ऐसे जिनेश्वर देव भगवान् महावीर स्वामी को नमस्कार कर, उनके प्रथम शिष्य गणधर गौतम गोत्रीय इन्द्रभूति प्रसिद्ध नाम गौतम स्वामो के सारयुक्त गुणों की मैं रास के माध्यम से स्तवना करूंगा। हे भव्यजनों! आप मन, तन और वाणो को एकाग्र कर ध्यानपूर्वक इस रास को सूनो, जिससे आपका शरीर रूपो घर गुणगणों से मण्डित/शाभित हो जाए ॥१॥ पद्य १ से ६ तक मात्रिक छन्द रोला नामक है, चतुष्पदी है और प्रत्येक चरण में २४ मात्राएँ है । विराम १४-१० मात्रा पर है। जंबुदीव सिरि भरह खित्त खोणीतल मंडण, मगह देस सेणिय नरेस रिउदल-बल खंडण । धण वर गुन्वर गाम नाम जिहं गुणगण सज्जा, विप्प वसइ वसुभूइ तत्थं तसु पुहवी भज्जा ॥२॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003811
Book TitleGautam Ras Parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinaysagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1987
Total Pages158
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy