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गणधर गौतम : परिशीलन
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३. महावीर स्तव-(सानन्दनम्रसुरकोटिकिरीटपीठ)
श्लो० २४, भाषा संस्कृत ४. विमलाचल ऋषभजिन स्तव-(विमलशैल शिरोमुकुटायतं)
श्लो० २७, भाषा संस्कृत ५. शान्तिजिन स्तव-(सज्ज्ञानभानुहतमोहतमो वितानकं)
___ श्लो० १९, भाषा संस्कृत ६. तमालताली पार्श्व स्तव पद्य ६, भाषा संस्कृत ७. वीतराग विज्ञप्ति-(मुख संमुखं नयणले) पद्य १३, भाषा
प्राचीन मरु गुजर ८. तीर्थयात्रा स्तव -- (महानन्द-महानन्द०) प० ४१,
भाषा संस्कृत ६. वीतराग स्तव (देविंद नागिंद नरिंद चंद) गाथा २५,
भाषा अपभ्रश १०. चतुर्विशति जिन स्तव- (मोह महाभड़ भय महण रिसह)
गाथा २६, भाषा अपभ्रश ११. सीमंधर स्तव-(नमिर सुर असुर नरविंद वंदिय पयं)
गाथा १४, भाषा अपभ्रश १२. तीर्थ माला स्तवन-(पणमिय जिणवर चलणे) गाथा
२५, भाषा अपभ्रंश इस तीर्थ माला स्तवन को श्री भंवरलाल जी नाहटा ने गुजराती विवेचन के साथ "जैन सत्य प्रकाश" के वर्ष १७ अंक १ में प्रकाशित किया था। इस महत्वपूर्ण तीर्थ माला स्तवन में स्थान-तीर्थ स्थान, वहाँ के मूलनायक व तत्कालीन बिम्ब संख्या आदि का भी उल्लेख है। लेखक ने विचरण करते, तोर्थ-यात्रा करते हुए हांसी से लगाकर दिल्ली, मथुरा, हरितनापुर, राजस्थान और गुजरात-सौराष्ट्र के समस्त तीर्थों
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