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अजयमेरु मण्डन जिनदत्तसरि गीत
( ६२७ )
परतखि २ थई कहई... .. ............ 'गोजी। सबलउ देस्यइ सोभाग ॥३॥ जि०॥ केसर के० २ भरिय कचोल ......... ....... ... ... ...| अगर उखेवउ अति भाय ॥४॥जि०॥ दिन २ दिन २ बेउ दादा दीपताजी...'
...........'ऊगत भांण ॥५॥ जि०॥ इति श्री मुलताण मण्डन श्री जिनदत्तसूरि श्री जि ........
.........रण समये ।। अजयमेरु मंडन जिनदत्तसूरि गीतम्
राग-मारुणी पूजिजी अ...... ......... .. ....''गुरु एह विचारवा। संघ उदय करिज्यो संभारवा ।। पू०। जागति जोति........ .....'भय संकट भागइ । मोटा महिपति सेवा मांगइ ।। पू०। मेदनि तटसंघ ......''तणइ परमाणइ । वखतवंत गुरु एह वखाणइ ।। पू०। समरवउ सद..." ..''ण दत्तसूरि दादा। समयसुंदर कहइ सुगुरु प्रसादा।४ पू०
इति श्री मेड..... .....'करणे श्री अजयमेरु मंडन श्री जिनदत्तसूरि गीतं ।।६।।
सं० १६८८ वर्षे मार्गशीर्ष ५ दिन श्रीसमयसुन्दरोपाध्यायः लिखितम...................*
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