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( ६२६ )
समय सुन्दरकृति कुसुमाञ्जलि
श्री संघ जाच करत विधि सेती । मन सुधि भावना भाव ।
प्रारथिया
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जागति जोति कुसलसूरि जागइ
...सुख संपति पूरति । खरतर सोह वडावड़ ।
"लसूरि गीतं ||३||
५. दादा श्री जिनकुशलसूरि गीतं
राग - जयत सिरी- धन्यासिरी
देराउर उंचउ गढ
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'ट घट अलि बिघन बिडारण | मांग्या मेह वरीस ।
पुत्र कलत्र आसा सुख नाम जपं निसदीस |
साहिब करउ बगसी (स) ।
मुलताण मंडन जिनदत्तसूरि जिनकुशलसूरि गीत
राग -- भूपाल
जिणदत्त जि० २ सूरि कुस
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"समयसुन्दर मांगति पद सेवा ।
हितकरि हि० एक गुरु दुखह
'राजी । जग वोलई जसवाद ॥१॥ जि० ॥
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'परिजी । मनोरथ चाढहं प्रमाण ||२|| जि०||
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