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सामायिक गीतम्
(४६५)
सामायिक गीतम् सामायिक मन शुद्ध करउ, निंदा विकथा मद परिहरउ । पढउ गुणउ वांचउ उपगरउ, जिम भवसागर लीला तरउ॥१॥ दिवस प्रते कोई दियइ सुजाण, सोनारी कंडी लाख प्रमाण। तेहनउ पुण्य हुवइ जेतलउ, सामायक लीधे तेतलउ ॥२॥ काम काज घर ना चिंतवइ, निंदा कपट करी खीजवइ । आर्त रौद्र ध्यान मन धरइ, ते सामायिक निष्फल करइ ॥३॥ आप परायउ सरखड गिणइ, साचुं थोडगमतू भणइ। कंचन पत्थर समवड धरइ, ते सामायक सूधू करइ ॥४॥ चंदवतंसक राजा जेम, सामायक व्रत पाल्यु तेम । कहइ श्री समयसुन्दर सीस,सामायिक व्रत पालउ निशदीस॥५॥
___ गुरु वंदन गीतम् हां मित्र म्हारा रे, चालउ उपासरइ जइयइ । संवेगी सदगुरु वांदी नइ,आपे कृतारथ थइयइ रे ॥१॥ हां.॥ श्री जिन वचन वखाण सुणीजइ, आपणि श्रावक थइयइ रे। समयसुन्दर कहइ ध्रम साचउ,हियइ मां सरदहियइ रे॥२॥हा.।।
श्रावक बारह व्रत कुलकम् श्रावक ना व्रत सुणजो बार, संसार मांहे एतउ सार । धुर थी समकित सूधउ धरइ, पणि मिथ्यात भणी परिहरहा १ ॥
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