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औपदेशिक गीतानि
(४५७ )
कहि मेखल सोहइ क्षमा रे हां० ब०, - गुपति वेणी दंडोपमा रे हां०।८। नयण काजल दया देखणी रे हां० ब०, ..... किरिया हाथे मंहदी रेखणी रे हां० । । । है। . इरिजा समिति पाये वीछिया रे हां. ब०,
__.साधु वेयावच्च बांहे पुणछिया रे हां०।१०। हे। देव गुरु गीत गलइ दुलड़ी रे हां० ब०,
शील सुरंगउ अोढइ चूनड़ी रे हां० ११ हे। जीव जतन्न पाए नेटरी रे हां० ब०,
समकित चीर पहिरी नीसरी रे हां०।१२। हे। नर नारी मोही रह्या रे हां० ब०
समयसुन्दर गीत ए कह्या रे हां०।१३। हे।
फुटकर सवैया
दीक्षा ले सूधी पालीजइ, सुख साता न अउला कांइ । कर्म खपावी केवल लहियइ, भणना गुणना रउला कांइ॥ इवड़ी बात अाज नहीं छइ, जीव थायइ तू गउला काइ । समयसुन्दर कहइ वांछा कीजइ, मन लाडू तेउ मउला कांइ ॥१॥ खाधू पीयूं लीधू दीवू, वसुधा मांहि वधारउ वान । गुरु प्रसादे खाता सुखपाम्यौ, जिनचंद्रसरि ते जुग परधान ।।
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