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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
हां माई स्त्री पुरुष नपुंसक सब कोउ,जोग मारग नइ मुगति जावइ। समयसुन्दरकहइ सोगुरु साचउ,जोग मारग मोकुसमझावइ मा.३।
कम गीतम्
राग-नटनारायण हां माई करम थी को छूटइ नहीं । क०।। मल्लिनाथ अस्त्री पणइ ऊपना, वीरइ कुण वेदन सही ।हा.।१। हरिचंद राय पाणी सिर आण्यउ, नंदिषेण वेश्या संग्रही। घरि घरि भीख मांगी मुंज राजा, द्वारिका जादव कोड़ि दही। हां.।२। लखमण राम भये वनवासी, रावण कुण विपति लही। समयसुंदर कहै करम अतुलबल,करम की बात न जात कही।हां.।३।
नावी गीतम्
राग--कनड़उ अडाणउ नावा नीकी री चलइ नीर मझार, जाजरि नहीं य लगार ।ना। रुंधे हैं आश्रव द्वार, भरयउ हइ संजम भार ।
आउला पांच प्राचार, धीरिज हइ झूझार ॥ ना०॥१॥ थिर मन कूया थभउ, नांगर दया उठ भउ;
समकित भावना सुवाय । मालमी आगम भाखड़, जतने जिहाज राखड़ समयसुन्दर नाउयउ, कुशले शिवपुर पाय ॥ ना० ॥२॥
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