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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
अमृत मीठे अत्यन्त, सरस यांचे सिद्धांत । भंजत मन की भ्रांति, चित्त होत चयणा ||सु०॥१॥ गावत वयराडी रागइ, आलापइ श्री संघ आगइ । वांसुरी मधुरी वागइ, सुख पावइ सयणा ॥सु०॥२॥ श्री जिन सिंघसरि, देख्यां दुख गये दूरि । समयसुन्दर सनूरि, हरखे नयणा ॥सु०॥३॥
सदगुरु सेवउ हो शुभ मतियां । श्री जिनसिंघसूरि सुखदायक, गच्छनायक गज गतियां।स.।१। सूत्र सिद्धान्त वखाण सुणावत,बलि वयराग की वतियां।। समयसुंदर कहइ सगुरु प्रसादइ,दिन दिन बहुदउलतियां स.।२।
श्रीजिनसिंहसूरि सपादाष्टक एजु लाहोर नगर वर, पातिसाहि अकबर;
दया भ्रम चितधर, बूझइ ध्रम बतियां । कर्मचंद्र मंत्री अ(ह)सी, गुरु चित वात वसी;
अभयकुमार जसी, मानु जाकी मतियां ॥ वाचक महिमराज, करत उत्तम काज;
बोलाए जु मंत्रिराज, लिखि करी पतियां ।
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