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( ३८० ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि (२) श्री जिनसिंहसार हीडोलणा गीतम्
__हीडोलना नी ढाल सरसति सामिणी वीन, आपज्यो एक पसाय । श्री आचारिज गुण गाइस्युहीडोलना रे,आणंद अंगि नमायाहीं.२। वांदउ जिणसिंघसरि हीडोलणारे, प्रह ऊगमतइ सूरि । ही.। मुझ मन आणंद पूरि हीडोलणा रे, दरसण पातिक दुरि ।आ.। मुनिराय मोहन वेलड़ी, महियलि महिमा जास।। चंद जिम चड़ती कला हीडोलणारे, श्रीसंघ पूरवइ आस ।हीं.२। सोभागी महिमा निलो, निलवट दीपइ नूर । नरनारी पाय कमल नमइ हीडोलणारे, प्रगट्यो पुण्य पडूर ।हीं.३। चोपड़ा वंशइ परगड़उ, चांपसी साह मल्हार । मात चांपलदे उरिधरचाहीडोलणारे, खरतरगच्छ सिणगारहीं.४। चउरासी गच्छ सिरतिलउ, जिनसिंहमूरि सरीस । चिरजयउ चतुर्विध संघ सुहीडोलणारे,समयसुन्दर धइ आसीस२।
चालउ सहेली सहगुरु वांदिवा जी,
सखि मुझ वांदिवा नी कोड़ रे। श्री जिनसिंह सरि प्राविया जी,
सखि कलं प्रणाम कर जोड़ रे॥चा.॥१॥ १ प्रगट्यउ पुण्य प्रकार। २ पूरवइ मनह जगीस
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