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( ३५६ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
दादा श्री जिनकुशलसूरि गीतम् दादाजी दीजइ दोय चेला। एक भणइ एक करइ वेयापच, सेवक होत सोहेला । दा० १.... श्रीजिनकुशलसरीसर सानिध, आज के काल वहेला.। ... समयसुन्दर कहइ सीरणी वाटू, गुन्दबड़ा गुल मेला। दा० ॥२॥
भट्टारक त्रय गीतम्
राग-आसावरी भट्टारक तीन हुए बड़ भागी। जिण दीपायउ श्री जिन शासन, सबल पडूर सोभागी। म०१॥ खरतर श्री जिनचंद सरीसर, तपा हीरविजय वैरागी। विधि पक्ष धरममूरति सूरीसर, मोटो गुण महात्यागी। भारा मत कोउ गर्व करउ गच्छनायक, पुण्य दशा हम जागी। समयसुंदर कहइ तत्त्व विचारउ, भरम जायह जिम भागी। म०३।
जिनचंद्रसरि कपाटलोहश्रृंखलाष्टकम्
श्रीजिनचन्द्रसरोणां, जयकुञ्जरभृङ्खला । शृङ्खलो धर्मशालायां चतुरे किमसौ स्थिता ॥१॥ शृङ्खला धर्म शालायां,वासितां पापनाशिनाम् । . शिवसमसमारोहे, किमु सोपानसन्तति ॥२॥...
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