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श्री नरमदा सुन्दरी सती गीतम्
प्रियु प्रतिबोधउ नरमदासुंदरी, पहुँती सरग
मारि ।
समयसुंदर कहइ सील वखायतां, पामीजइ
भव
इति नरमदा सुन्दरी सती गीतं ॥६॥
श्री ऋषिदत्ता गीतम् ढाल - जिणवर सु मेरउ मन लीगड, ए गीतनी रुक्मणी नइ परणवा चाल्यउ,
कुमर कनकरथ नाम रे । रिसिदत्ता तापस नी पुत्री,
रिसिदचा रूप अति रूयड़ी, सील सुरंगी नारि
नित उठी नइ नाम
दीठी अति अभिराम रे ॥ १ ॥
जयंता,
पामीजइ भव पारि
रुक्मणी पापिणी रोस करीनइ,
पारि ||८||न० ॥
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रे ।
रिषिदत्ता परणी घरि आव्यउ, सुख भोगवर सुविवेक रे ।
रे ॥ २ ॥ रि० ॥
मूंकी जोगणी एक रे ॥ ३ ॥ रि० ॥
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