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________________ मेघरथ (शांतिनाथ दसम भव) राजा गीतम् ( २६७ ) दया थकी नव निधि हुवइ, दया ए सुखनी खाग रूड़ा राजा । भव अनंत नी ए सगी, दया ते माता जाण रूड़ा राजा ॥ १६ ॥थि ० ॥ गज भव ससलउ राखियउ, मेघकुमार गुण जाग रूड़ा राजा । श्रेणिक राय सुत सुख लाउ, पहुँता अनुचर विमान रूड़ा राजा ||२०||१०|| इम जाणी दया पालजो, मन मई करुणा आण रूड़ा राजा । समयसुंदर इम वीनवइ, दया थी सुख निर्वाण रूड़ा राजा ॥२१॥ ६० ॥ श्री मेघकुमार गीतम् धारणी मनावह रे, मेघकुमार नह रे; तु तउ मुझ एक ज पूत । तुझ बिन जावा रे, दिनड़ा किम गमँ रे; राखउ राखउ घर तया तुझ नह परखावि रे, आठ कुमारिका रे ते बहू अति सुकुमाल । मलपती वह रे, जिम वन हाथणी रे; मयणा वयण सूत ॥ धा० |१| Jain Educationa International सुविसाल || धा० |२| For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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