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श्री अरहन्ना साधु गीतम्
(२५१ )
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म्हारउ अरहनउ, किहां.दीठउरे म्हारउ अरहनाांकगी।। गउखइ चढि दीठउ गोरडी, आवउ आ.मंदिरः शोरडी । . काया कां सोखउ कोरडी, मन आशा पूरउ मोरड़ी ॥२ म्हां०॥ ऋषि चूकउ चारित थी पड़ यउ,ऊंचो आवास जइ चड्मट । भोगवह काम भोग नारि नड्यउ,विघटइ किम घाट दैव घडमड
... म्हां०३॥ भद्रा माता इम सांभलि, गहिली थई जोयइ गलिय गली । आवउ विहरण वेला टली, हा हा मोहनी करम महाबली ।म्हां०४॥ गउखइ बइठइ मां ओलखी, धिग धिग सरस्यई सुख पखी । मई मूढइ मात कीधी दुखी, नव मास वस्यउ जेहनी कूखी ॥म्हां. ॥ नारी तजि नीचउ उतरचउ, संवेग मारग सूधउ धरचउ' सिला ऊपरि संथारउ करचउ, वेगइ सुरसँदरि नई वरम्हां४६।। धन धन ए मुनिवर अरहन्नउ, अणसण ऊपरि थयउ इक मन्नउ । अधिकार भण्यउ मंइएहनउ,समयसुंदर नइ ध्यान तेहननाम्ही.७॥
.श्री अरहनक मुनि गीतम् अरणिक मुनिवर चाल्या गोचरी, तडकई दाभइ सींसो जी। पाय उवराणइ रे वेलु परि जलइ, ... तन सुकुमोल मुनीसो जी ।। अर० ॥१॥ मुख कमलाणउ रे मालती फूल ज्यु, ऊभउ गोख नइ हेठो जी । खरइ दुपहरइ दीठउ एकलउ,
मोही मानिनी मीठो जी ॥ अर० ॥२॥
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