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समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि
श्री ज्ञान पंचमी बृहत्स्तवनम्
ढाल १-- गौड़ी मंडण पास एहनी
प्रणम् श्री गुरु पाय, निरमल न्यान उपाय | पांचमि तप भणु ए, जनम सफल गणु ए ॥ १ ॥ चवीसमउ जिण चंद, केवल न्यान दिद । त्रिगटर गह गहह ए, भवियण नइ कहइ ए ॥ २ ॥ न्यान बड़उ संसार, न्यान मुगति दातार । न्यान दीवउ काउ ए साचउ सरदह्यो ए ॥ ३ ॥ न्यान लोचन सुविलास, लोकालोक प्रकास । न्यान बिना पसू ए नर जागs किस ए ॥ ४ ॥ afts राधक जाणि, भगवती सूत्र प्रमाण । ज्ञानी सर्व तह ए, किरिया देस तइ ए ॥ ५ ॥ न्यानी सासो सास, करम करइ जे नास । नारकि नह सही ए, कोड़ि वरस कही ए ॥ ६ ॥
( २३३ )
अधिकार, बोल्यउ सूत्र मकार ।
न्यान त किरिया छह सही ए, पणि पछह कही ए ॥ ७ ॥ किरिया सहित जउ न्यान, हुयइ तर अति प्रधान । सोनउ नइ सुहृत ए, सांख दूधइ भरघउ ए ॥ ८ ॥ महानिशीथ मकार, पांचमि अक्षर सार । भगवंत भाखिया ए, गरणवर साखिया ए ॥ ६ ॥
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