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श्री महावीरदेव श्रीतम्
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तारि तारि तीर्थंकर मोकू, पर उपगारी कृपा कर । समयसुंदर कह तू मेरउ साहिब, हूँ तेरह चरण कउ चाकर । ३ | म० ]
श्री महावीर देव गीतम
ढाल - १ भलउ रे थयउ म्हारह पूज्य जी पधारया २ भलु रे कीधु सामी नेम कुमार।
सामी मुनइ तारउ भव पार उतारउ । साहिब आवागमरण निवारउ, महावीर जी सा० ॥ १॥ श्रांकणी ॥
सामी तुम्हे त्रिभुवन जनना आधार । सेवक नी करउ हिंव सार || महा०|| २ || सामी मोरइ एक तुम्हे अरिहंत देवा । भवि भवि देज्यो पाय सेवा || महा० || ३ || श्री वर्धमान नमु सिर नामी । समयसुन्दर चा स्वामी || महा०||४||
इति श्रीमहावीर देव गीतं सम्पूर्णम् ॥ १७ ॥ -X-
श्री महावीर गोतम राम श्रीराग
नाचति सुरिश्रम सुर वीर कह भागह कुमरिय कुमर अडोतर सउ रचि
भगति जगति प्रभु चरण लागइ ||१ ना०॥
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