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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
निरखीजइ पास निरंजण रे॥१॥भी०॥ हरसई मन वंछित दाता रे,
प्रणमीजइ उठि परभाता रे। कंसारी नाम कहाता रे,
खंभायत मांहि विख्याता रे॥२॥भी०॥ ईति चिंता आरति सवि चूरइ रे,
प्रभु सहुना परता पूरइ रे। दुख दोहिला टालइ दूरइ रे,
__ समयसुन्दर पुण्य पङ्करइ रे ॥३॥ भी०॥ इति श्री खंभात मंडण भीड़भंजन पार्श्वनाथ भास ॥२६॥
श्री नाकोड़ा पार्श्वनाथ स्तवनम आपणे घर बेइठा लील करउ,निज पुत्र कलत्र सुप्रेम धरउ। तुम्हे देस देसंतर कां द्रउडउ, नित नाम जपउ श्री नाकउड़उ ।। मन वंछित सगली आस फलई, सिर ऊपर चामर छत्र ढलइ ।
आगलि चालइ जुलमति घोड़उ, नित नाम जपउ श्री नाकउड़उ ।। भूत प्रेत पिशाच वेताल वली, शाकिणी डाकिणी जाइ टली। छल छिद्र न लागइ को झउड़उ, नित नाम जपउ श्री नाकउड़उ ।३। कण्ठमाला गड़ गुंबड़ सबला, ब्रण कुरम रोग टलई सगला । पीडान करइ कुण गलि फोडउ, नित नाम जपउ श्री नाकउड़उ ।४।
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