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श्री स्तंभन पार्श्वनाथ सपना
श्री स्तंभन पार्श्वनाथ स्तवनम् सदा सयल सुख संपदा हेतु जाणी,
हिये परम आगद कल्लोल आणी । कर जोडि करि वीनवु शीस नामी,
प्रभु पाच श्री स्थंभगो मुक्ति गामी ॥१॥ जसु नयरी बाणारसी जन्म सार,
अश्वसेन नरराय वाना मल्हार । अरिहंत अति सुन्दर रूप सोहइ,
प्रभु पास श्री स्थंभयो चित्त मोहइ ॥२॥ जिणे कमठ अज्ञान करतो निवारयउ,
कृषा करी अहि अग्नि बलतो उगारयउ । कियउ पवर धरणिंद सुरपति समृद्ध,
प्रभु पास श्री स्थंभणो जग प्रसिद्ध ॥३॥ श्री खरतर गच्छ शृङ्गार सार,
अभयदेवमूरि नवांगी वृत्तिकार । तिणे प्रगटियउ सेढिका नदीय तीरे,
प्रभु पास श्री स्थंभनो घन सरीरे ॥४॥ धन्य आज मुझ दीह भगवंत भेट्यउ,
चिरकाल नो संचित पाप मेट्यउ । नव हत्थ तनु मान महिमा निधान,
प्रभु पास श्री स्थंभणो गुण प्रधान ॥५॥
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