________________
( १५४ )
समयसुन्दरकृतकुसुमाञ्जलि
नयणां दीठां नित आणंद, सेवंतां सुरतरु ना कंद । लहियइ लक्ष्मी लील विलास, सहसफणा चिंतामणि पास ।६। द्राविड वारिखेल मुन्नीपति, सत्र जे सीधा दसक्रोड जती। काती पूनम पुण्य प्रकाश, सहसफणा चिंतामणि पास ७/ संवत सोल इक्यासी समइ, यात्रा कीधी काती पूनमें । तीरथ महिमा प्रगटी जास, सहसफणा चिंतामणि पास ।। भवना संकट भांजो साम, प्रह ऊठी नइ करू प्रणाम । समयसुन्दर कहइ ए अरदास, सहसफणा चिंतामणि पास है।
(२)
राग-कल्याण चालउ लोद्रवपुरे। सहसफणा चिंतामणि स्वामी, भेटउ भाव धरे। चा० ॥१॥ भणसाली थिरु बिंब भराया, जेसलमेरु गिरे। समयसुन्दर सेवक कहइ हमकु, प्रभु सानिध करे। चा० ॥२॥
श्रीस्तंभन-पार्श्वनाथ-स्तोत्रम् नमिरसुरासुरखयररायकिन्नरविजाहर! । महुयराइविरायमाणपयपंकयसदर !! महिअलमहिमामेयमणवंछिअदायक !!
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org