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समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि
राजुल नारि कहइ मृगनयणी, मृग कउ काउ म मानउरे। नयण विरोध हमारइ इण सु, जादव ए मर्म जाणउ रे।।रा। आगे पिण सीता नइ इण मृग, राम विछोहउ पाइयउ रे। रोहिणी कउ मनरंग गमाइयउ,चंद कलंक दिखाड्यउरे।३ रा०। दोषी हुयह ते देखि न सखइ, घात विचालह घालइ रे। समयसुन्दर प्रभु साजन सरिखा, पडिवन्तउ पालइ रे।४। रा०।
नेमिनाथ गीत
राग-मारुणी उग्रसेन की अंगजो, बोलति गदा गज वाणि । किण सुताणि न तोडियइ, जगजीवन चतुर सुजाणि ।। ह०। हमारे मोहन विन अपराधि न छाड़ि ॥ अांकणी ॥ अष्ट भवन की प्रीतडी, नवौताणा ताणि । जल बिन मछली किउं रहइ, कछु महरि हमारी आणि ।२। ह। नेमिनाथ नाकी करी, तारी आप समानि । समयसुन्दर कहइ आपणि, प्रीत चाढी नेमि प्रमाणि ।३। ह०।
नेमिनाथ गीतम्
राग-मारुणी
चंदई कीधउ चानणउ रे, दोठउ मृग दुःख दाय । तुदधि सुत तिण दाखवु, भलउ समुद्रविजय सुत भाइ।१।
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