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नेमिनाथ गीत
(१२५ )
मन गमतउ माणक मंइ लाजी, कहि राजुल कुल नारि। समयसुन्दर भगते भणई जी, शीलाभरण सुखकारि
ने
श्री गिरनार मंडन नेमिनाथ गीतम्
___ राग-जयतश्री
औ देखत उंचउ गिरनारि । औला जिण गिरि आय रहे जोगीसर,
नेमि निरंजन बाल ब्रह्मचारी । औ०।१। शाम्प प्रज्जुन कुमर क्रीड़ा गिरि,
अंबिका टुक प्रमुख विस्तारी । औ०। समवशरण शोभित सहसावन,
राजिमती रहनेमि विचारी । औला। नेमिनाथ मूरति अति मनोहर,
धन्य दिवस मंइ आज जुहारी । औ०। समयसुन्दर प्रभु समुद्र विजय सुत,
जात करत सुखकारी ।औ०।३।
श्री नेमिनाथ गौतम
राग-रामगिरि छपन कोड़ि यादव मिलि आए, नयणे नेमि निहाल्यउरे। पशुय पुकार सुणी यदु नंदन, तोरण थीरथ वाल्यउ रे।शरा०
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