SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 287
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (११८ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि गज चढ्या श्री जिनराज हे, चांवर ढोलइ देवता म्हां० । मस्तक छत्र विराज हे ॥म्हां० ॥२॥ ने०॥ सन्दर सेहरो सोहइ ए, सामल रूप सुहामणउ म्हां० । सुरनर ना मन मोहइ ए ॥म्हां ॥३॥ ने० ॥ इन्द्राणी गायइ गीत हे, बाजा वाजइ अति घणा म्हां । रूयडी सगली रीत हे ॥म्हां ॥४॥ने॥ श्राविया उग्रसेन बारि रे, तोरण थी पाछा वल्या म्हां । पशुय सुनी पुकारि हे ॥म्हां० ॥ ५॥ ने०॥ राजुल करत विलाप हे, प्रापति बिन किम पामियइ म्हां० । मन मान्या मेलाप हे ॥म्हां ॥६॥ने०॥ जइ चढ्या गढ गिरनारि हो, संयम केवल शिवसिरी। तिएह वरी तिहां नारी हो ॥ म्हां ॥७॥ ने० ॥ साचउ सोहलउ एह हे, समयसुन्दर कहइ मुझ हुज्योम्हा० । नेमि वरी नारि तेह हे ॥म्हां ॥८॥ ने०॥ नेमिनाथ गीतम् ढाल (भलु थयु म्हारइ पूज जी पधार्या ) मुगति धूतारी म्हारउ उतार्यउइ, धूतार्यउ, मुझ थी राग लहियइ ।१। बाई जोयउ रे मु०॥ प्रांकणी ॥ कर्म कथा कहउ केहनइ कहियइ, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy