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( ६६ ) समयसुन्दरकृतिकुसुमाञ्जलि रंगे
चौमालीसे चौपाली .
रागै, समयसुन्दर · सुखकार रे । से०।१२। इति श्रीपाल्हणपुरमण्डन ४४ द्वयर्थरागगर्भित
श्रीचंद्रप्रभस्वामि बृहत्स्तवनम् । संवत् १६७१ भादवा सुदि १२ कृतम् ।
चन्द्रवारि मण्डन श्री चन्द्रप्रभ भास
राग-वसंत चन्द्रप्रभ भेट्यउ मंइ चंदवारि, जमुना कइ पारि ॥ चन्द्र०॥ सुन्दर मूरति अइसी नहीं संसारि । चन्द्र०।१। निरमलदल फटिक रतन उदार, दीपइ अति दीप शिखा प्रकार । चित हरख्यउ चंद्रप्रभ जुहारि,
समयसुन्दर नइ भव समुद्र तारि । चन्द्र०।१। इति श्री चन्द्रवारि मंडण चन्द्रप्रभ भास ॥२७॥
श्री शीतलनाथ जिन स्तवनम् मुख नीको, शीतलनाथ को मुख नीको । उठि प्रभात जिके मुख देखत, जन्म सफल ताही को।मु०॥१॥ नयन कमल नीकी मधतारा, उपमा ताहि अली को। सुन्दर रूप मनोहर मूरति, भाल ऊपर भल टीको ।मु०॥२॥
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