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________________ ( १६ ) उनको उस रूप में इस ग्रन्थ में नहीं रखा है। हमारा वर्गीकरण कुछ विशेष प्रकार का होने से प्राप्त कई संकलनों का क्रम टूट गया है। इस ध्र पद छत्तीसी की सं० १६७० की लिखित प्रति देसाई के संग्रह में है। अन्य प्रति बीकानेर के बड़े ज्ञान भंडार में है। २. तीर्थ भास छत्तीसी-इसमें तीर्थों सम्बन्धी छत्तीस गीतों का संकलन किया गया है। इसकी ११ पत्रों की अहमदाबाद में सं० १७०० आषाढ वदि १ स्वयं की लिखित प्रति बंबई रॉयल ऐशि. याटिक सोसाइटी से प्राप्त हुई है। अन्य प्रति हमारे संग्रह में है। ३. प्रस्ताव सवैया छत्तीसी-इसमें छत्तीस फुटकर सवैयों का संकलन है, जो समय समय पर रचे गये होंगे। इसकी स्वयं लिखो प्रति हमारे संग्रह में है। ४. साधु गीत छत्तीसी-इसके अंतिम २ पत्रों वाली प्रति हमारे संग्रह में है, जिसमें ३१ से ३६ तक के गीत व अन्त में ३६ गीतों की सूची है। ५. सत्यासिया दुष्काल वर्णन छत्तीसी-इसके फुटकर वर्णन बाले छन्दों की कई प्रकार की प्रतियां मिली हैं। जिनसे मालूम होता है कि समय समय पर उन छन्दों की रचना फुटकर रूप में हुई और अन्त में पूर्तिस्वरूप कुछ पद्य बनाकर यह छत्तीसी रूप संकलन तैयार कर दिया गया। ६. नेमिनाथ गीत छत्तीसी-इसकी स्वयं लिखित प्रति के नौ पत्र हमारे संग्रह में है, इसका अन्त का एक पत्र नहीं मिलने से ३४ वें गीत की एक पंक्ति के बाद शेष २ गीत अधूरे रह जाते हैं। ७. वैराग्य गीत छत्तीसी-इसमें वैराग्योत्पादक छत्तीस गीतों का संकलन था, पर इसकी प्रति भी त्रुटित (पत्रांक ५-१० वां, दो पत्र) Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003810
Book TitleSamaysundar Kruti Kusumanjali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAgarchand Nahta, Bhanvarlal Nahta
PublisherNahta Brothers Calcutta
Publication Year1957
Total Pages802
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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