________________
( १६ )
समयसुन्दर कृति कुसुमाञ्जलि
सुमति थकी सीजइ मन वंचित, इह लोक नै परलोक अपार । समयसुन्दर कहइ सुमति तीर्थंकर, सेवउ सुमति त उ दातार | ५ | चढ्न पदम सम, कनक पद्म क्रम,
पदम पाणि उपम, पदम हइ पाय जु । पदम लंछन धर, पदम बांधव कर
चरण पदम चर, पदम की छाय जु || सुसीमा माता सुहाय, पदम सय्या विछाय,
पद्म प्रभु कहाय, नामै जिनराय जु। पदमनिधान पायउ, पदमसरसि न्हायउ,
समयसुन्दर गायउ, सुगुरु पसाय जु || ६ ||
"थयउ आकाश, इन्द्र सेवा
जास, करें अरदास जु ।
पाप कौ करौ प्रणास, तोड़ कर्म बंध पास,
टालो भव केरउ त्रास, पूरो मन आस जु ||
माता के रह कर फास, पिता का थया सुपास,
Jain Educationa International
सुकुमाल सुविलास, अधिक उल्हास जु ।
समयसुन्दर तास, चरण वासानुदास,
जपति सुजस वास, साहिव सुपास जु ||७||
चंद्रपुरी अवतार, लक्ष्मणा माता मल्हार,
चंद्रमा लांछन सार, उरु अभिराम में । वदन पुनिमचंद, वचन शीतलचंद,
महासेन नृपचंद, नव निधि नाम में |
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org