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________________ प्रकाशकीय प्राकृत भाषा व साहित्य के अध्ययन-अनुसंधान के बिना भारतीय भाषाओं के विकास को और भारतीय जनजीवन को पूरी तरह नहीं समझा जा सकता है। अतः प्राकृत भाषा के शिक्षण और शोध को गति प्रदान करना प्रत्येक सामाजिक एवं शैक्षणिक संस्था का कर्तव्य है। इसी भावना से प्रेरित हो श्री अ० भा० साधुमार्गी जैन संघ, बीकानेर के सहयोग से उदयपुर में “जैन विद्या एवं प्राकृत विभाग" की सुखाड़िया विश्वविद्यालय में स्थापना हुई तथा “आगम अहिंसा-समता एवं प्राकृत संस्थान" का संचालन किया जा रहा है । __यह संस्थान अर्धमागधी आगम साहित्य के दुर्लभ एवं महत्वपूर्ण ग्रन्थों को हिन्दी अनुवाद के साथ प्रकाशित कर रहा है। अब तक 'देविदत्थओं' एवं 'उपासकदशांग और उसका श्रावकाचार' ये दोनों ग्रन्थ संस्थान से प्रकाशित हो चुके हैं । संस्थान ने परमपूज्य समता विभूति आचार्य नानेश की पुस्तक “समता दर्शन और व्यवहार" का अंग्रेजी अनुवाद भी प्रकाशित किया है। प्रस्तुत पुस्तक प्राकृत भारती संस्थान का चतुर्थ पुष्प है। सम्पादक मण्डल ने प्राकृत साहित्य से मणियाँ चुनकर हिन्दी अनुवाद के साथ इसमें संजोयी हैं, आशा है वे पाठकों का ज्ञानवर्द्धन करेंगी। प्राकृत के शिक्षण-कार्य में यह पुस्तक उपयोगी होगी, ऐसा विश्वास है । प्राकृत के इन विद्वान् सम्पादकों की इस निष्काम सेवा के लिए संस्थान उनका आभारी है। विश्वविद्यालय एवं विभिन्न परीक्षा बोर्ड प्राकृत की इस महत्वपूर्ण पुस्तक को अपने पाठ्यक्रमों में निर्धारित कर सम्पादकों के श्रम को सार्थक करेंगे, ऐसी आशा है । ___इस पुस्तक के प्रकाशन के लिए श्रीमान् सोहनलाल जी सा० सिपानी, बैंगलोर का जो आर्थिक सहयोग प्राप्त हुआ है, उसके लिए संस्थान उनका आभारी है। ग्रन्थ के सुन्दर और सत्वर मुद्रण के लिए हम वर्तमान मुद्रणालय, वाराणसी के आभारी हैं । डॉ० प्रेम सुमन जैन एवं डॉ० सुभाष कोठारी ने पुस्तक के सम्पादन, प्रूफ संशोधन एवं प्रकाशन व्यवस्था में अपना विशेष सहयोग दिया है जिसके कारण यह ग्रन्थ इतने अल्प समय में प्रकाशित हो सका है, अतः उनके प्रति हम पुनः आभार प्रकट करते हैं। गणपतराज बोहरा सरदारमल कांकरिया महामंत्री अध्यक्ष Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003808
Book TitlePrakrit Bharti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1991
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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