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________________ प्राकृत भारती २. साहि + लासं = लास्य से युक्त नृत्य स्त्रियों का होता है। ३. स +अहिलासं, इच्छा सहित कामी व्यक्तियों का चित्र स्त्रियों __ को चाहता है। फिर बाद में मैंने प्रश्नोत्तर पढ़ागाथा ४. १. घास किससे उत्पन्न होती है ? २. आभूषण के अर्थ में दूसरा शब्द कौनसा होता है ? ३. कलंक से युक्त चन्द्रमा को छोड़कर तुम्हारे मुँह के समान दूसरी चीज क्या है ?' उन तीनों प्रश्नों को समझकरके उसने कहा-'कमलं' । कं + अलं = (क) पानी, अलं = भूषण कमलं = कमल की तरह मुख है। फिर दूसरे दिन बिंदुमती के द्वारा हमने खेला। तब बिन्दुमती लिखी गई, वह इस प्रकार थीकनकमती ने लिखने के तुरन्त बाद ही जान लिया और कहा गाथा ५. 'कायर पुरुष सब कुछ भाग्य के मस्तक पर डालकर सहते रहते हैं। जिनका तेज चमकता है उस लोगों से भाग्य भी डरता है।' फिर पासों से, फिर चार रंग वाले चपेटों द्वारा मनोरंजन किया गया। इस प्रकार दिन व्यतीत होते हैं। संसार चलता है, परन्तु उस कनकमती के अभिप्राय को नहीं जाना गया । [४] तब मेरे द्वारा सोचा गया कि किस उपाय के द्वारा इसके अभिप्राय को जाना जाय? इस प्रकार चिन्ता से युक्त मैं रात को सो गया और रात्रि के अन्तिम प्रहर में स्वप्न देखा कि कुसुममाला लिए हुए एक स्त्री मेरे पास आयी। उसने आकर कहा कि-'इस माला को ग्रहण करो। बहुत दिनों से तुम इसके लिए इच्छुक थे।' तब मैं कुसुममाला ग्रहण करते ही जाग गया। मेरे द्वारा आवश्यक कार्य किये गये। राजसभा के मंडप में बैठा और मेरे द्वारा सोचा गया-'चाहा गया कार्य सम्पम्न हो गया।' [५] उसके बाद द्वारपाल के द्वारा सूचना दी गई कि हे महाराज ! एक सन्यासी दरवाजे पर है और कहता है-'मैं भैरवाचार्य के द्वारा राजपुत्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003808
Book TitlePrakrit Bharti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherAgam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan
Publication Year1991
Total Pages268
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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