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पढमगेहाम्रो चेव लाभे वा अलाभे वा नियत्तियव्वं, न गेहन्तरमभिगन्तव्वं ति ।' एवं च कयपइन्नस्स तस्स जहाकयं पइन्नमणुपालिन्तस्स अइक्कन्ता बहवे दियहा ।
प्रभ्यास
1. शब्दार्थ :
संश्चन्न = व्याप्त विलमा = स्त्री माइग्म = भरा हुआ चिविड = चपटी
= छोटा कयत्थ = अपमान संग = परिग्रह
तिय = तिराहा वसणं = अभ्यास उत्तिमंग- सिर बिलमेत-छेदमात्र कंसालय = मंजीरे पवन = प्राप्त संसिऊरण = समझाकर
चच्चरं = चौक इट्ठा = मनपसन्द
= गोल सिरोहर - गर्दन रासह = गधा दूमिय = दुखी पसत्य = अच्छा
2. वस्तुनिष्ठ प्रश्न :
सही उत्तर का क्रमांक कोष्ठक में लिखिए : 1. क्षितिप्रतिष्ठित नगर में लोगों का लोभ था(क) धन में
(ख) सन्तान में (ग) युद्ध में
(घ) निर्मल यश में 2. परलोक का एक मात्र बन्धु है(क) महल
(ख) धन-पैसा (ग) धर्म
(घ) मित्र
समराइच्चकहा-प्रथमखण्ड (सं०-डॉ. छगनलाल शास्त्री), बीकानेर, 1966 पृ. 12-18 से संक्षेप रूप में उद्धत ।
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प्राकृत गद्य-सोपान
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