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तृतीया विभक्ति : नियम 13 : तृतीया विभक्ति के एकवचन में अम्ह का मए एवं तुम्ह का तुमए रूप
बनता है। नियम 14 : पु० एवं नपु० सर्वनाम तथा अकारान्त शब्दरूपों में तृतीया विभक्ति
के एकवचन में शब्द के प्रको ए होता है तथा रण प्रत्यय जुड़ता है ।
जैसे :- सर्व0-तेण, इमेण, केरण। संज्ञा-पुरिसेण, छत्तेण, जलेरण। नियम 15 : पु० तथा न० इ एवं उकारान्त शब्दों के आगे पा प्रत्यय जुड़ता है।
___ जैसे :- कविरणा, साहुणा, वारिणा, वत्थुरणा। नियम 16 : स्त्री० सर्वनाम एवं संज्ञा शब्दों में तृतीया विभक्ति के एकवचन में ए
प्रत्यय जुड़ता है । ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाते हैं । जैसे :
सर्व०- ताए, इमाए, काए। संज्ञा- बालाए, नईए, बहुए। नियम 17 : सभी सर्वनामों एवं सभी संज्ञा शब्दों में तृतीया विभक्ति के बहुबचन में
हि प्रत्यय लगता है । शब्द के अ को ए तथा ह्रस्व स्वर दीर्घ हो जाते हैं। जैसे :संज्ञा (पु०)-पुरिसेहि, छत्तेहि, कवीहि, सिसूहि (नपु.)-वारीहि, वत्थूहि
स्त्रीo-बालाहि, नईहि । सर्वo-अम्हेहि, तेहि, ताहि । पंचमी विभक्ति : नियम 18 : पंचमी विभक्ति एकवचन में अम्ह का ममानो एवं तुम्ह का तुमानो रूप
बनता है। नियम 19 : पु० एवं नपु० सर्वनामों के दीर्घ होने के बाद उनमें ओ प्रत्यय जुड़ता
है। जैसे :- तानो, इमानो, कानो। नियम 20 : स्त्री० सर्वनाम एवं संज्ञा शब्दों में ह्रस्व होकर तथा नपु० एवं पु०
शब्दों में पंचमी विभक्ति के एकवचन में तो प्रत्यय जुड़ता है। जैसे :स्त्री०- ता=तत्तो, इमा=इमत्तो, बाला=बालत्तो, बहुत्तो।
पु०- पुरिसत्तो, कवित्तो, सिसुत्तो, जलत्तो, वारित्तो आदि । नियम 21 : सभी सर्वनामों एवं संज्ञा शब्दों में दीर्घ स्वर होने के बाद पंचमी विभक्ति
के बहुवचन में हितो प्रत्यय जुड़ता है । जैसे :अम्हाहितो, ताहितो, पुरिसाहितो, बालाहितो, बहूहितो आदि ।
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प्राकृत गद्य-सोपान
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